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भारत में तीर्थयात्राओं का महत्व

भारत में तीर्थयात्राओं का महत्व अत्यधिक है, और उत्तराखंड प्रदेश इसमें अपना विशेष स्थान रखता है। यहाँ पर प्राचीन मंदिरों से लेकर पवित्र नदियों तक कई महत्वपूर्ण धार्मिक स्थल हैं, जो अनगिनत श्रद्धालुओं को आकर्षित करते हैं। इस प्रदेश में पंच प्रयाग भी एक विशेष स्थान रखते हैं, जिनमें दो पवित्र नदियों का संगम होता है, और इसे 'संगम' कहा जाता है।

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पंच प्रयागों का महत्व हिन्दू धर्म में अत्यंत महत्वपूर्ण माना जाता है। यहाँ के संगम स्थलों में स्नान का अद्वितीय महत्व है, जिससे श्रद्धालु अपने पापों से मुक्ति प्राप्त कर सकते हैं। ये स्थान प्राचीन काल से ही धार्मिक और सांस्कृतिक गतिविधियों का केंद्र रहे हैं। इन प्रयागों में स्नान करने से अनेक पुण्यों की प्राप्ति होती है और श्रद्धालु अपने आत्मा को शुद्ध करते हैं।

पंच प्रयागों में से एक है विष्णुप्रयाग। यहाँ अलकनंदा और धौलीगंगा नदियों का संगम होता है और इसे विष्णुप्रयाग कहा जाता है। विष्णुप्रयाग पर श्रद्धालु मोक्ष प्राप्ति के लिए डुबकी लगाने जरूर आते हैं। चार धाम यात्रा के दौरान यहाँ पर श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ पड़ती है।

नंदप्रयाग भी उत्तराखंड के पंच प्रयागों में एक है। यहाँ अलकनंदा और मंदाकिनी नदियों का संगम होता है। यह स्थान श्री कृष्ण के पालक पिता राजा नंद के नाम पर पड़ा है।

कर्णप्रयाग पंच प्रयागों में तीसरे स्थान पर है। इसी स्थान पर पिंडर ग्लेशियर से निकलने का बाद पिंडर नदी अलकनंदा नदी में मिल जाती है।

रुद्रप्रयाग भी उत्तराखंड के पंच प्रयागों में एक है। यहाँ अलकनंदा और मंदाकिनी नदियों का संगम होता है।

देवप्रयाग अलकनंदा और भागीरथी नदी के संगम पर बसा हुआ शहर है। अगर आप ऋषिकेश जाने का मन बना रहे हैं तो देवप्रयाग जरूर जाएं, क्योंकि यहां से इसकी दूरी मात्र 73 किलोमीटर ही है। देवप्रयाग में डुबकी लगाने के लिए श्रद्धा